Vaman Dwadashi Vrat Katha in Hindi | पढ़ें वामन द्वादशी (वामन जयंती) व्रत कथा, जानें इसका महत्व और पूजा के नियम हम यहां आपको वामन द्वादशी (वामन जयंती) कब मनाई जाती हैं, और वामन द्वादशी (वामन जयंती) मनाने के पीछे की व्रत कथा के बारे में यहां बताने जा रहे हैं नीचे बताई जा रही वामन द्वादशी (वामन जयंती) व्रत कथा का पाठ आपको वामन द्वादशी (वामन जयंती) के दिन करना चाहिए इससे भगवान श्री विष्णु के अवतार वामन का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
वामन जयंती 2025: संपूर्ण व्रत कथा, पूजा विधि और महत्व | Vaman Dwadashi 2025: The Full Story (Katha), Puja Vidhi & Significance
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Vaman Jayanti 2025 Date: वामन जयंती कब हैं 2025
भाद्रपद और आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती का पर्व मनाया जाता हैं जो इस साल 2025 में सितम्बर महीने की 04 तारीख़, वार गुरुवार के दिन मनाया जा रहा हैं।
सर्व पाप नाशक वामन द्वादशी व्रत: पढ़ें पूरी कथा और विधि | Vaman Dwadashi Vrat for Blessings & Prosperity: The Full Story (Katha) | Vaman Jayanti Katha
एक बार दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। पराजित इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मां अदिति बहुत दुखी हुईं। उन्होंने अपने पुत्र के उद्धार के लिए विष्णु की आराधना की। Vaman Dwadashi Vrat Katha
इससे प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट होकर बोले- देवी! चिंता मत करो। मैं तुम्हारे पुत्र के रूप में जन्म लेकर इंद्र को उसका खोया राज्य दिलाऊंगा। समय आने पर उन्होंने अदिति के गर्भ से वामन के रूप में अवतार लिया। उनके ब्रह्मचारी रूप को देखकर सभी देवता और ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे। Vaman Dwadashi Vrat Katha
एक दिन उन्हें पता चला कि राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेध यज्ञ करा रहा है। यह जानकर वामन वहां पहुंचे। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। बलि ने उन्हें एक उत्तम आसन पर बिठाकर उनका सत्कार किया और अंत में उनसे भेंट मांगने के लिए कहा। Vaman Dwadashi Vrat Katha
इस पर वामन चुप रहे। लेकिन जब बलि उनके पीछे पड़ गया तो उन्होंने अपने कदमों के बराबर तीन पग भूमि भेंट में मांगी। बलि ने उनसे और अधिक मांगने का आग्रह किया, लेकिन वामन अपनी बात पर अड़े रहे। इस पर बलि ने हाथ में जल लेकर तीन पग भूमि देने का संकल्प ले लिया। संकल्प पूरा होते ही वामन का आकार बढ़ने लगा और वे वामन से विराट हो गए। Vaman Dwadashi Vrat Katha
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उन्होंने एक पग से पृथ्वी और दूसरे से स्वर्ग को नाप लिया। तीसरे पग के लिए बलि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। वह बोला- प्रभु, सम्पत्ति का स्वामी सम्पत्ति से बड़ा होता है। तीसरा पग मेरे मस्तक पर रख दें। Vaman Dwadashi Vrat Katha
सब कुछ गंवा चुके बलि को अपने वचन से न फिरते देख वामन प्रसन्न हो गए। उन्होंने ऐसा ही किया और बाद में उसे पाताल का अधिपति बना दिया और देवताओं को उनके भय से मुक्ति दिलाई। Vaman Dwadashi Vrat Katha
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