श्री मंगला गौरी स्तुति (PDF): पढ़ें संपूर्ण पाठ, हिंदी अर्थ और लाभ Mangla Gauri Stuti Lyrics in Hindi & Benefits (Labh) रामायण में उल्लेख है कि देवी सीता ने मां गौरी का पूजन करके अपना श्री राम के रूप में मनचाहा वर पाया था मां जानकी ने देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए स्तुति का पाठ किया था।
सोमवार और शुक्रवार स्नान के बाद इस स्तुति को पढ़कर कुंवारी कन्याएं माँ गौरी का वरदान प्राप्त कर सकती हैं मंगला गौरी स्तुति को पढ़ने से महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव, मांगलिक दोष, दांम्पत्य जीवन में परेशानी आदि अशुभ योग़ कुंडली में शांति मिलती हैं मंगला गौरी स्तुति के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंगल गौरी स्तुति 2025: पीडीएफ, पाठ व अर्थ | Shri Mangla Gauri Stuti For Happy Married Life & Akhand Saubhagya
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यह है मंगला गौरी की शक्तिशाली स्तुति, अखंड सौभाग्य का मिलेगा वरदान | Mangla Gauri Stuti Lyrics in Hindi: Pura Path aur Pati ki Lambi Umar ke Fayde
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मंगल गौरी स्तुति (Lyrics): अर्थ, लाभ व जप नियम | Mangla Gauri Stuti PDF Download
जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥
जय गजबदन षडानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबही के॥
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥
बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसुकानि॥
सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥
नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥
एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

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