श्रीमद् राधा अष्टकम् (PDF) | Shrimad Radhashtakam Lyrics, Meaning & Benefits श्रीमद् राधाष्टकम् श्री राधा जी को समर्पित हैं। श्रीमद् राधाष्टकम् का शुक्रवार के दिन पाठ करने श्री लक्ष्मी माता की पूर्ण कृपा प्राप्ति के साथ दरिद्रता भी दूर होती हैं।श्रीमद् राधाष्टकम् के बारे में बताने जा रहे हैं।
संपूर्ण श्रीमद् राधा अष्टकम् (अर्थ सहित) | Shrimad Radha Ashtakam in Hindi
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निकुञ्जे मञ्जूषद्विविधमृदुपुष्पैकनिचयैः,
समाकीर्णं दान्तं सुमणिजटितं केलिशयनम् ।
हृदि प्रादुर्भूतोद्भटविरहभावैः सपदि यत्,
करे कृत्वा पत्रव्यजनमुपविशन्तीं हृदि भजे ॥ १॥
विदित्वा गोपीशं श्रमविहितनिद्रं हृदि भिया,
रणत्कारैर्भूयान्न खलु गतनिद्रः परमिति ।
द्वितीयेन स्तब्धाचलनचपलं कङ्कणचयं,
वितन्वन्तीं मन्दं व्यजनमथ राधां हृदि भजे ॥ २॥
विधायाच्छैः पुष्पैर्विविधरचनां चारुमृदुलां,
पदप्रान्तालम्बां स्वकरकमलाभ्यां पुनरसौ ।
स्थितं स्वप्राणानां प्रियतममनन्यं निजपुरो-,
ऽवगत्यातन्वन्तीमुरसि वनमालां हृदि भजे ॥ ३॥
पुरा रासारम्भे शरदमलरात्रिष्वपि हरि-,
प्रभावाद्युल्लीढस्मरणकृतचिन्ताशतयुताम् ।
हृदि प्रादुर्भूतं बहिरपि समुद्वीक्षितुमिव,
स्वतो वारं वारं विकसितदृगब्जां हृदि भजे ॥ ४॥
विचिन्वन्तीं नाथं निरतिशयलीलाकृतिरतं,
प्रपश्यन्तीं चिह्नं चरणयुगसम्भूतमतुलम् ।
प्रकुर्वन्तीं मूर्धन्यहह पदरेणूत्करमपि,
प्रियां गोपीशस्य प्रणतनिजनाथां हृदि भजे ॥ ५॥
निजप्राणाधीशप्रसभमिलनानन्दविकस-,
त्समस्ताङ्गप्रेमोद्गतमतनुरोमावलिमपि ।
स्फुरत्सीत्कारान्तःस्थितसभयभावैकनयनां,
पुनः पश्चात्तप्तामतुलरसपात्रं हृदि भजे ॥ ६॥
लसद्गोपीनाथाननकमलसंयोजितमुखां,
मुखाम्भोधिप्रादुर्भवदमृतपानैकचतुराम् ।
परीरम्भप्राप्तप्रियतमशरीरैक्यरसिकां,
तृतीयार्थप्राप्तिप्रकटहरिसिद्धिं हृदि भजे ॥ ७॥
न मे वाञ्छ्यो मोक्षः श्रुतिषु चतुरात्मा निगदितो,
न शास्त्रीया भक्तिर्न पुनरपि विज्ञानमपि मे ।
कदाचिन्मां स्वामिन्यहह मयि दासे कृपयतु,
स्वतः स्वाचार्याणां चरणशरणे दीनकरुणा ॥ ८॥
इति श्रीमद्राधाष्टकं सम्पूर्णम् ।
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