WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

श्रीमद् राधा अष्टकम् (PDF) | Shrimad Radhashtakam Lyrics, Meaning & Benefits

श्रीमद् राधा अष्टकम् (PDF) | Shrimad Radhashtakam Lyrics, Meaning & Benefits श्रीमद् राधाष्टकम् श्री राधा जी को समर्पित हैं। श्रीमद् राधाष्टकम् का शुक्रवार के दिन पाठ करने श्री लक्ष्मी माता की पूर्ण कृपा प्राप्ति के साथ दरिद्रता भी दूर होती हैं।श्रीमद् राधाष्टकम् के बारे में बताने जा रहे हैं।

संपूर्ण श्रीमद् राधा अष्टकम् (अर्थ सहित) | Shrimad Radha Ashtakam in Hindi

हमारी वेबसाइट FreeUpay.in (फ्री उपाय.इन) में रोजाना आने वाले व्रत त्यौहार की जानकारी के अलावा मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र, साधना, व्रत कथा, ज्योतिष उपाय, लाल किताब उपाय, स्तोत्र आदि महत्वपूर्ण जानकारी उबलब्ध करवाई जाएगी सभी जानकारी का अपडेट पाने के लिए दिए गये हमारे WhatsApp Group Link (व्हात्सप्प ग्रुप लिंक) क्लिक करके Join (ज्वाइन) कर सकते हैं।

हर समस्या का फ्री उपाय (Free Upay) जानने के लिए हमारे WhatsApp Channel (व्हात्सप्प चैनल) से जुड़ें: यहां क्लिक करें (Click Here)

Shrimad Radhashtakam
Shrimad Radhashtakam

निकुञ्जे मञ्जूषद्विविधमृदुपुष्पैकनिचयैः,

समाकीर्णं दान्तं सुमणिजटितं केलिशयनम् ।

हृदि प्रादुर्भूतोद्भटविरहभावैः सपदि यत्,

करे कृत्वा पत्रव्यजनमुपविशन्तीं हृदि भजे ॥ १॥

विदित्वा गोपीशं श्रमविहितनिद्रं हृदि भिया,

रणत्कारैर्भूयान्न खलु गतनिद्रः परमिति ।

द्वितीयेन स्तब्धाचलनचपलं कङ्कणचयं,

वितन्वन्तीं मन्दं व्यजनमथ राधां हृदि भजे ॥ २॥

विधायाच्छैः पुष्पैर्विविधरचनां चारुमृदुलां,

पदप्रान्तालम्बां स्वकरकमलाभ्यां पुनरसौ ।

स्थितं स्वप्राणानां प्रियतममनन्यं निजपुरो-,

ऽवगत्यातन्वन्तीमुरसि वनमालां हृदि भजे ॥ ३॥

पुरा रासारम्भे शरदमलरात्रिष्वपि हरि-,

प्रभावाद्युल्लीढस्मरणकृतचिन्ताशतयुताम् ।

हृदि प्रादुर्भूतं बहिरपि समुद्वीक्षितुमिव,

स्वतो वारं वारं विकसितदृगब्जां हृदि भजे ॥ ४॥

विचिन्वन्तीं नाथं निरतिशयलीलाकृतिरतं,

प्रपश्यन्तीं चिह्नं चरणयुगसम्भूतमतुलम् ।

प्रकुर्वन्तीं मूर्धन्यहह पदरेणूत्करमपि,

प्रियां गोपीशस्य प्रणतनिजनाथां हृदि भजे ॥ ५॥

निजप्राणाधीशप्रसभमिलनानन्दविकस-,

त्समस्ताङ्गप्रेमोद्गतमतनुरोमावलिमपि ।

स्फुरत्सीत्कारान्तःस्थितसभयभावैकनयनां,

पुनः पश्चात्तप्तामतुलरसपात्रं हृदि भजे ॥ ६॥

लसद्गोपीनाथाननकमलसंयोजितमुखां,

मुखाम्भोधिप्रादुर्भवदमृतपानैकचतुराम् ।

परीरम्भप्राप्तप्रियतमशरीरैक्यरसिकां,

तृतीयार्थप्राप्तिप्रकटहरिसिद्धिं हृदि भजे ॥ ७॥

न मे वाञ्छ्यो मोक्षः श्रुतिषु चतुरात्मा निगदितो,

न शास्त्रीया भक्तिर्न पुनरपि विज्ञानमपि मे ।

कदाचिन्मां स्वामिन्यहह मयि दासे कृपयतु,

स्वतः स्वाचार्याणां चरणशरणे दीनकरुणा ॥ ८॥

इति श्रीमद्राधाष्टकं सम्पूर्णम् ।

👉 श्री राधाकृष्ण अष्टकम् (PDF) | Radha Krishna Ashtakam Lyrics, Meaning & Benefits

👉 Radha Ke 32 Naam with Meaning & Benefits | सर्व संकट नाशक श्री राधा के 32 नाम

👉 Radha Ke 108 Naam | श्री राधा के 108 दिव्य नाम: अर्थ, लाभ और PDF

👉 Radha Kripa Kataksh Stotra Lyrics, Meaning & Benefits | श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र (PDF)

👉 Radha Stotram Lyrics, Meaning & Benefits | श्री राधा स्तोत्र (PDF)

वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Leave a Comment

Call Us Now
WhatsApp
We use cookies in order to give you the best possible experience on our website. By continuing to use this site, you agree to our use of cookies.
Accept