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Siddha Kunjika Stotram in Hindi & Sanskrit PDF | श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् (संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल देने वाला): पाठ, अर्थ और लाभ

Siddha Kunjika Stotram in Hindi & Sanskrit PDF | श्री सिद्ध कुंजिका स्तोत्रम् (संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल देने वाला): पाठ, अर्थ और लाभ Siddha Kunjika Stotram का वर्णित रुद्रयामले गौरीतंत्र में उल्लेख किया गया हैं ! Siddha Kunjika Stotram भगवान शिव जी ने माँ पार्वती को सुनाया हैं। भगवान शिव जी ने पार्वती से कहा है कि दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का जो फल है वह सिर्फ Siddha Kunjika Stotram के पाठ से प्राप्त हो जाता है। Siddha Kunjika Stotram का मंत्र सिद्ध किया हुआ इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। जो साधक संकल्प लेकर इसके मंत्रों का जप करते हुए श्री दुर्गा मां की आराधना करते हैं मां उनकी इच्छित मनोकामना पूरी करती हैं।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के 11 चमत्कारी लाभ | Siddha Kunjika Stotram Benefits

इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है कि Siddha Kunjika Stotram के मंत्रों का जप किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करना चाहिए। किसी को क्षति पहुंचाने के लिए कुंजिकास्तोत्र के मंत्र की साधना करने पर साधक का खुद का ही अहित होता है। Siddha Kunjika Stotram को ग्रहण काल में इस पाठ को सिध्द किया हो।

या Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार की तकलीफ हो या शांति की आवश्यकता, कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष होना, घर में क्लेश होना, व्यापार में दिक्कत और परेशानी होना, शादी का नही होना, शत्रु का हावी होना, व्यापार में घाटा या नुकसान होना, संतान सुख से वंचित होना, भुत प्रेत और उपरी हवा या किसी भी प्रकार की परेशानी, जमींन से सम्बंधित परेशानी, रोग से सम्बंधित समस्याओं हो, सुख-शांति, समृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति की कामना व समस्त प्रकार की कल्याण की भावना आदि Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से व कराने से लाभ मिलता हैं।

और नवरात्रि में कराने से इसका फल अंनत गुना प्राप्त होता हैं। किसी विशेष फल के लिए श्री सिद्ध कुंजिका का पाठ का 108, 508 या 1008 बार करवाना या करना चाहिए।

भगवान शिव द्वारा दिया गया सबसे गुप्त और शक्तिशाली स्तोत्र श्री सिद्ध कुंजिका (PDF) | Siddha Kunjika Stotram PDF Download

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Siddha Kunjika Stotram
Siddha Kunjika Stotram

जीवन की हर बाधा और शत्रु का नाश करने वाला सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | Siddha Kunjika Stotram Lyrics in Sanskrit

विनियोग:

ॐ अस्य श्री कुन्जिका स्त्रोत्र मंत्रस्य सदाशिव ऋषि:॥

अनुष्टुपूछंदः

॥ श्रीत्रिगुणात्मिका देवता ॥ ॐ ऐं बीजं ॥ ॐ ह्रीं शक्ति: ॥ ॐ क्लीं कीलकं ॥ मम सर्वाभीष्टसिध्यर्थे जपे विनयोग: ॥

शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः भवेत् ॥1॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥ 3॥

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।

पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥

अथ मंत्र:

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः 

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।”

॥ इति मंत्रः॥

“नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनी ॥1॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनी ॥2॥

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥3॥

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥ 4॥

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिणी ॥5॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥6॥

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥7॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥ 8॥

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्र सिद्धिं कुरुष्व मे॥

इदं तु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

।। श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।।

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