Ganga Stuti : Ganga Devi Stuti : गंगा स्तुति जो भी जातक गंगा स्तुति को गंगा दशहरा के दिन गंगा के जल में खड़ा होकर 10 बार पठन करता हैं तो उसके जीवन से दरिद्रता का नाश होने लगता हैं। इस गंगा स्तुति का संकल्प करके ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में प्रतिपदा तिथि से लेकर दशमी तक रोज-रोज एक बढ़ते हुए क्रम में पठन करता हैं तो उस जातक के सभी पापों का नाश हो जाता हैं। माँ गंगा स्तुति आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।
माँ गंगा स्तुति — Maa Ganga Stuti
जय जय भगीरथनन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दिनि,
नर-नाग-बिबुध-बन्दिनि जय जह्नु बालिका।
बिस्नु-पद-सरोजजासि, ईस-सीसपर बिभासि,
त्रिपथगासि, पुन्यरासि, पाप-छालिका।।1।।
बिमल बिपुल बहसि बारि, सीतल त्रयताप-हारि,
भँवर बर बिभंगतर तरंग-मालिका।
पुरजन पूजोपहार, सोभित ससि धवलधार,
भंजन भव-भार, भक्ति-कल्पथालिका।।2।।
निज तटबासी बिहंग, जल-थर-चर पसु-पतंग,
कीट, जटित तापस सब सरिस पालिका।
तुलसी तव तीर तीर सुमिरत रघुबंस-बीर,
बिचरत मति देहि मोह-महिष-कालिका।।3।।
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