Jagannath Stotram : Jagannath Stotra : श्री जगन्नाथ स्तोत्र भगवान जगन्नाथ जी को समर्पित हैं। श्री जगन्नाथ स्तोत्र को नियमित रूप से पाठ करने से जातक की मन की शांति व सारी बुराईयों नष्ट होने के साथ अनेक कष्टों का निवारण हो जाता हैं। और इसके साथ साथ श्री जगन्नाथ स्तोत्र का पाठ करने से जातक स्वस्थ, धनी और सुखी समृद्ध की प्राप्ति होती हैं। Jagannath Stotram आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।
श्री जगन्नाथ स्तोत्र || Sri Jagannath Stotram
अथ श्री जगन्नाथप्रणामः
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने ।
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ।।1।।
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च ।
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ।।2।।
।। श्री जगन्नाथ प्रार्थना ।।
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय ।
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण ।।1।।
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं प्रभो
कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः ।
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपि नालोचका-
स्तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत् कारुण्यसिन्धुस्तदा ।।2।।
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः ।
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ।।3।।
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे ।
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ।।4।।
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा ।
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ।।5।।
Sri Jagannath Stotram पाठ विधि
- जातक को पहले भगवान श्री कृष्ण, श्री बलराम जी एवं देवी सुभद्रा जी का पंचोपचार (जल, अक्षत-पुष्प, धुप, दीप और नैवेद्य) से पूजन करने के बाद हाथ जोड़कर ध्यान करें और दीपक और धूपबत्ती जलाये।
- पूजन करने के बाद Jagannath Stotram के पहले दो श्लोक का पठन करके श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को दण्वत प्रणाम करें।
- भगवान श्री जगन्नाथ जी के इस श्री जगन्नाथ स्तोत्र का शांत आस्था और धीमे स्वर में पाठ करें।
- Jagannath Stotram का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति व अनेकों कष्टों का निवारण के श्री भगवान कृष्ण जी की कृपा प्राप्त होती हैं।
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