Papmochani Ekadashi 2025 Date: पापमोचनी एकादशी 2025 कब है? जानें इसका शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि, मंत्र और आरती

Papmochani Ekadashi 2025 Date: पापमोचनी एकादशी 2025 कब है? जानें इसका शुभ मुहूर्त, सामग्री लिस्ट, पूजाविधि, मंत्र और आरती हम यहां आपको इस वर्ष पापमोचनी एकादशी कब मनाई जायेगी, और इसका शुभ मुहूर्त क्या हैं इसके बारे में हम आपको विस्तार से नीचे बताने जा रहे हैं।

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Papmochani Ekadashi 2025 Date

हमारे हिन्दू धर्म की धार्मिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी के दिन का व्रत करने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते है तथा मनुष्य को अपने जीवन में चल रहे सारे संकटों से मुक्ति मिलती हैं तथा पापमोचनी एकादशी 2025 व्रत करने के प्रभाव से मनुष्य को मृत्यु उपरांत विष्णुलोक की प्राप्ति होती हैं।

पापमोचनी एकादशी कब आती हैं?

हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार हर वर्ष चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि को “पापमोचनी एकादशी” मनाई जाती है।

पापमोचनी एकादशी 2025 में कब हैं?

पंचांग के अनुसार इस वर्ष पापमोचनी एकादशी 2025 में 25 मार्च, वार मंगलवार के दिन मनाई जायेगी।

पापमोचनी एकादशी तिथि प्रारम्भ: सुबह 05 बजकर 05 मिनट से (25 मार्च 2025 से)

पापमोचनी एकादशी तिथि समाप्त: सुबह 03 बजकर 45 मिनट से (26 मार्च 2025 तक)

पारण का समय (व्रत तोड़ने का समय): दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से सांय 04 बजकर 14 मिनट तक (26 मार्च 2025 को)

द्वादशी तिथि समापन का समय: 01:42 बजे तक (27 मार्च 2025 को)

हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 25 मार्च, वार मंगलवार को सुबह 03:45 से लेकर 27 मार्च 2025 की रात्रि 01:42 तक रहेगी। इसलिए उदयातिथि 25 मार्च 2025 में होने के कारण इस बार 25 मार्च 2025 में पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

पापमोचनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त

पापमोचनी एकादशी 2025 के दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 09:29 से 14:05 से दोपहर 03:37 से सांय 05:09 बजे तक रहेगा, इस समय अन्तराल में आप पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि कर सकते है।

पापमोचनी एकादशी व्रत पारण का समय

इस वर्ष में पापमोचनी एकादशी व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त 26 मार्च 2025, वार बुधवार को दोपहर 01:46 मिनट से सांय 04:14 मिनट तक रहेगा।

पापमोचनी एकादशी व्रत के समापन की क्रिया को पारण कहा जाता है और इसे व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी तिथि में सूर्योदय के पश्चात किया जाता है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले अवश्य हो जाना चाहिए। किन्तु यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाए तब भी इस व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही करना चाहिए।

सभी श्रद्धालुओं के लिए यह जान लेना आवश्यक है कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी के भीतर ना होने से इसे पाप तुल्य समझा जाता है। किन्तु यह भी जान लें कि द्वादशी तिथि की पहली एक-चौथाई तिथि, हरी वासर के समाप्त होने के बाद ही पारण करना चाहिए।

व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय: प्रातः काल

किस समय व्रत ना तोड़े: मध्यान्ह (दोपहर)

तिथियों के हेर-फेर में कभी-कभी पापमोचनी एकादशी व्रत निरंतर दो दिन हो जाता है। ऐसे में पहले दिन एकादशी व्रत रखना चाहिए। किन्तु दूसरें दिन यानि दूजी एकादशी के दिन सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति की इच्छा रखने वाले श्रद्धालुओं को व्रत रखना चाहिए। जब भी एकादशी व्रत दो दिन होता है, तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं। इच्छानुसार भगवान विष्णु के परम भक्तजन दोनों दिन भी व्रत रख सकते हैं।

पापमोचनी एकादशी पूजा मंत्र

पापमोचनी एकादशी के दिन “ॐ नमोः नारायणाय नमः।” और “ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।” मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा आप पापमोचनी एकादशी के दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी शुभ माना जाता हैं।

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पापमोचनी एकादशी व्रत कथा: यहां पढ़ें

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