Sunderkand Path Siddhi Sadhana Vidhi: इस विधि से करें सुन्दरकाण्ड पाठ को सिद्ध आपके हर मनोरथ कार्य होंगे पूरे हम आपको इस पोस्ट के जरिये यह बताने जा रहे हैं की सुंदरकांड पाठ को कैसे सिद्ध करने से आपके जीवन में कितना परिवर्तन आ सकता हैं. जो भी साधक सुंदरकांड सिद्ध साधना को पूरी कर लेता उसके जीवन में किसी भी प्रकार के संकट, बाधा, परेशानीयां, बीमारी आदि मुसीबत आना बंद हो जाती हैं।
सुंदरकांड पाठ सिद्धि साधना करने से साधक को हर एक कार्य में सफलता मिलती हैं। यंहा हम आपको सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना विधि बताने जा रहे हैं। इस पोस्ट को पढ़कर आप भी नियमित रूप से आसानी से सुंदरकांड पाठ को सिद्ध करके अपने जीवन में आ रही अनचाहे बाधाओं से मुक्ति पा सकते हो।
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध साधना किस दिन करें
किसी भी शुक्ल पक्ष के मंगलवार अथवा किसी भी शुभ दिन इस सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना करने का अनुष्ठान को प्रारंभ किया जा सकता है।
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध साधना किस समय करें
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना करने का अनुष्ठान आपको ऐसे समय शुरू करना जिससे यह अनुष्ठान सूर्योदय से पूर्व समाप्त हो जाये।
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध साधना कितने दिन की हैं?
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध करने का अनुष्ठान आपको कम से कम 49 दिन तक करना चाहिए।
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध करने की विधि
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना करने वाले साधक को प्रातःकाल उठाकर ब्रह्म मुहूर्त में नित्य कर्म से निवृत होकर स्नानादि करके साफ लाल वस्त्र धारण करें, उसके बाद अपने घर के पूजा स्थल में जाकर उत्तरमुखी या पूर्वमुखी लाल आसन पर बैठ जाये उसके बाद अपने सामने चोकी रखकर उस पर लाल कपड़ा बिछाये और श्री हनुमान जी मूर्ति या प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें, उसके बाद ईशान कोण में कलश स्थापित करके श्री गणेश, माता गौरी, नवग्रह, पंचदेवों की पूजा करें और उसके उपरान्त श्री हनुमान जी का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजा करके सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना का संकल्प लें.
उसके बाद शुद्ध देशी घी का दीपक जलाये. दीपक जब तक जलाये रखना हैं जब तक आपका पाठ समाप्त ना हो जाए। यदि बीच के किसी कारणवश दीपक बुझ जाये तो, उस दीपक की बाती को पुन: ना जलाकर नई बाती डालकर जलाना चाहिए। इसलिए अपने पास पहले से ही अतिरिक्त बाती रखें। साथ में धूपबत्ती भी जलाये। कलश में जल, दीपक में अग्नि, आधार में पृथ्वी, आकाश और वायु ये पंचमहाभूत साक्षी होते हैं, इसलिए प्रत्येक पूजा अनुष्ठान में कलश व दीपक का विधि विधान बताया है।
और उसके बाद श्री हनुमान जी को लाल गुड़हल के फूल अर्पित करें. एक बात का विशेष ध्यान रखें की जितने लाल गुड़हल के पुष्प आप श्री हनुमान जी को अर्पित करते हो उतने ही शुद्ध देशी घी के बनाए हुए लड्डू भोग लगाने के लिए उनके समक्ष रखें। यानी की यदि 4 लाल गुड़हल के पुष्प आपने श्री हनुमान जी को अर्पित किये हैं तो 4 ही देशी घी के लड्डू भोग के लिए श्री हनुमान जी के समक्ष रखने होगें, मतलब की पुष्प और लड्डू की संख्या बराबर होनी चाहिए।
अब आप सुन्दरकाण्ड का पाठ आरम्भ (शुरू) कर दें, परन्तु पाठ शुरू करने से पहले किंष्किंधा कांड का एक दोहा पहले पढ़ लेना चाहिए मतलब की “बलि बाँधत प्रभु बाढ़्यौ……दोहे से प्रारंभ करके सुंदरकांड के 60 दोहे यानी कुल 61 दोहे नित्य पाठ करने हैं। अंत में आरती व क्षमा याचना करके श्री हनुमान जी को भोग लगाए। और शाम को भोग में लड्डू या फूल का कोई विधान नहीं, वह नित्य की भाँति जितना जैसे संभव वैसे ही पूजा करें।
इस प्रकार से आपको 49 दिन में 49 पाठ पूरे कर ले। परन्तु ध्यान रखें की आवाहन के बाद 50 दिन तक विसर्जन नहीं करना है। 50 वें दिन हवन कर दे। हवन में पूप (पुवा) व गुग्गुल मिश्रित सामग्री अवश्य मिला दे। हवन के बाद तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण भोजन सदक्षिणा समधुरान्न व कुमारिका भोजन ब्राह्मण भोजन करावे। इसके साथ किसी भी मंगलवार के दिन गुरधनिया (भुने हुए गेहूँ को गुड़ में पागकर) वानरों को दिन में किसी भी समय अपना भोजन करने से पहले खिला दे। गेहूँ और गुड़ पर सूर्यदेव का अधिकार है जो हनुमान जी के गुरू हैं। बस अब समझिए आपको सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध साधना पूरी हो जायेगी ।
सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्ध साधना के नियम
1. सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना आपको सूर्योदय से पहले समाप्त कर लेनी हैं ।
2. सुन्दरकाण्ड सिद्ध साधना के अवधि में साधक सात्विक आहार-विहार, नियम-संयमादि का पालन करना आवश्यक है।
3. सुन्दरकाण्ड पाठ सिद्धि साधना करते समय साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक हैं।
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