वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

Ganga Stotram : Ganga Stotra : गंगा स्तोत्रम

Ganga Stotram
Ganga Stotram

Ganga Stotram : Ganga Stotra : श्री गंगा स्तोत्रम की रचियता श्री आदी शंकराचार्य जी ने की हैं। हमारे हिन्दू धर्म में गंगा नदी को माँ का दर्जा दिया गया हैं। ऋग्वेद वेद में गंगा नदी का वर्णित किया हुआ हैं। गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं। गंगा स्तोत्रम में गंगा नदी के बारे में बताया गया है। जो भी व्यक्ति श्री गंगा स्तोत्रम का नियमित रूप से पाठ करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है और गंगा माँ की विशेष कृपा बनी रहती हैं। उसकी बुद्दि भी निर्मल हो जाती हैं और जीवन समाप्त होने के बाद मोक्ष को प्राप्त होता हैं। गंगा स्तोत्रम आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्री गंगा स्तोत्रम Shri Ganga Stotram

देवि सुरेश्वरि भगवति गंगे त्रिभुवनतारिणि तरल तरंगे।

शंकर मौलिविहारिणि विमले मम मति रास्तां तव पद कमले ॥ १ ॥

भागीरथिसुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः ।

नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम् ॥ २ ॥

हरिपदपाद्यतरंगिणि गंगे हिमविधुमुक्ताधवलतरंगे ।

दूरीकुरु मम दुष्कृतिभारं कुरु कृपया भवसागरपारम् ॥ ३ ॥

तव जलममलं येन निपीतं परमपदं खलु तेन गृहीतम् ।

मातर्गंगे त्वयि यो भक्तः किल तं द्रष्टुं न यमः शक्तः ॥ ४ ॥

पतितोद्धारिणि जाह्नवि गंगे खंडित गिरिवरमंडित भंगे ।

भीष्मजननि हे मुनिवरकन्ये पतितनिवारिणि त्रिभुवन धन्ये ॥ ५ ॥

कल्पलतामिव फलदां लोके प्रणमति यस्त्वां न पतति शोके ।

पारावारविहारिणि गंगे विमुखयुवति कृततरलापांगे ॥ ६ ॥

तव चेन्मातः स्रोतः स्नातः पुनरपि जठरे सोपि न जातः ।

नरकनिवारिणि जाह्नवि गंगे कलुषविनाशिनि महिमोत्तुंगे ॥ ७ ॥

पुनरसदंगे पुण्यतरंगे जय जय जाह्नवि करुणापांगे ।

इंद्रमुकुटमणिराजितचरणे सुखदे शुभदे भृत्यशरण्ये ॥ ८ ॥

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् ।

त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे ॥ ९ ॥

अलकानंदे परमानंदे कुरु करुणामयि कातरवंद्ये ।

तव तटनिकटे यस्य निवासः खलु वैकुंठे तस्य निवासः ॥ १० ॥

वरमिह नीरे कमठो मीनः किं वा तीरे शरटः क्षीणः ।

अथवाश्वपचो मलिनो दीनस्तव न हि दूरे नृपतिकुलीनः ॥ ११ ॥

भो भुवनेश्वरि पुण्ये धन्ये देवि द्रवमयि मुनिवरकन्ये ।

गंगास्तवमिमममलं नित्यं पठति नरो यः स जयति सत्यम् ॥ १२ ॥

येषां हृदये गंगा भक्तिस्तेषां भवति सदा सुखमुक्तिः ।

मधुराकंता पंझटिकाभिः परमानंदकलितललिताभिः ॥ १३ ॥

गंगास्तोत्रमिदं भवसारं वांछितफलदं विमलं सारम् ।

शंकरसेवक शंकर रचितं पठति सुखीः त्व ॥ १४ ॥

॥ इति श्रीमच्छनकराचार्य विरचितं गङ्गास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

Leave a Comment

Call Us Now
WhatsApp
We use cookies in order to give you the best possible experience on our website. By continuing to use this site, you agree to our use of cookies.
Accept
Privacy Policy