वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

Shri Gangashtakam : श्री गंगा अष्टकम

Shri Gangashtakam
Shri Gangashtakam

Shri Gangashtakam : श्री गंगा अष्टकम इस गंगाष्टकम् के रचियता महर्षि वाल्मीकी जी ने की हैं। हमारे हिन्दू धर्म में गंगा नदी को माँ का दर्जा दिया गया हैं। ऋग्वेद वेद में गंगा नदी का वर्णित किया हुआ हैं। गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं। श्री गंगा अष्टकम में गंगा नदी के बारे में बताया गया है। जो भी व्यक्ति गंगाष्टकम् का नियमित रूप से पाठ करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते है और गंगा माँ की विशेष कृपा बनी रहती हैं। उसकी बुद्दि भी निर्मल हो जाती हैं और जीवन समाप्त होने के बाद मोक्ष को प्राप्त होता हैं। श्री गंगा अष्टकम आदि के बारे में बताने जा रहे हैं।

श्री गंगा अष्टकम Shri Gangashtakam

मातः शैलसुतासपत्नि वसुधाशृङ्गारहारावलि स्वर्गारोहणवैजयन्ति भवतीं भागीरथि प्रार्थये ।

त्वत्तीरे वसतः त्वदंबु पिबतस्त्वद्वीचिषु प्रेङ्खत-स्त्वन्नाम स्मरतस्त्वदर्पितदृशः स्यान्मे शरीरव्ययः॥१॥

त्वत्तीरे तरुकॊटरान्तरगतो गङ्गे विहङ्गो वरं त्वन्नीरे नरकान्तकारिणि वरं मत्स्योऽथवा कच्छपः।

नैवान्यत्र मदान्धसिन्धुरघटासङ्घट्टघण्टारण-त्कारत्रस्तसमस्तवैरिवनितालब्धस्तुतिर्भूपतिः ॥२॥

उक्षा पक्षी तुरग उरगः कोऽपि वा वारणो वा वारीणः स्यां जननमरणक्लेशदुःखासहिष्णु: ।

न त्वन्यत्र प्रविरलरणत्कङ्कणक्वाणमिश्रं वारस्त्रीभिश्चमरमरुता वीजितो भूमिपालः ॥३॥

काकैर्निष्कुषितं श्वभिः कवलितं गोमायुभिर्लुण्ठितं स्रोतोभिश्चलितं तटांबुलुलितं  वीचीभिरान्दोलितम्।

दिव्यस्त्रीकरचारुचामरमरुत्संवीज्यमानः कदा द्रक्ष्येऽहं परमेश्वरि त्रिपथगे भागीरथि स्वं वपुः ॥४॥

अभिनवबिसवल्ली पादपद्मस्य विष्णो-र्मदनमथन्मौलेर्मालतीपुष्पमाला ।

जयति जयपताका काप्यसौ मोक्षलक्ष्म्याः क्षपितकलिकलङ्का जाह्नवी नः पुनातु ॥५॥

एतत्तालतमालसालसरलव्यालोलवल्लीलता-च्छन्नं सूर्यकरप्रतापरहितं शंखेन्दुकुन्दोज्ज्वलम्।

गन्धर्वामरसिद्धकिन्नरवधूत्तुङ्गस्तनास्फालितं स्नानाय प्रतिवासरं भवतु मे गाङ्गं जलं निर्मलम्॥६॥

गाङ्गं वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्। 

त्रिपुरारिशिरश्चारी पापहारि पुनातु माम् ॥७॥

पापहारि दुरितारि तरङ्गधारी शैलप्रचारि गिरिराजगुहाविदारि।

झङ्कारकारि हरिपादरजोऽपहारि गाङ्गं पुनातु सततं शुभकारि वारि ॥८॥

गङ्गाष्टकम् पठति यः प्रयतः प्रभाते वाल्मीकिना विरचितं शुभदं मनुष्यः।

प्रक्षाल्य गात्रकलिकल्मषपङ्कमाशु मोक्षं लभेत्पतति नैव नरो भवाब्धौ ॥९॥

वैदिक उपाय और 30 साल फलादेश के साथ जन्म कुंडली बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री बनवाए केवल 500/- रूपये में: पूरी जानकारी यहां पढ़े

Leave a Comment

Call Us Now
WhatsApp
We use cookies in order to give you the best possible experience on our website. By continuing to use this site, you agree to our use of cookies.
Accept
Privacy Policy