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Jagannath Rath Yatra : जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

Jagannath Rath Yatra
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Jagannath Rath Yatra : जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने वाले धार्मिक महामहोत्सवों में सबसे प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। यह रथयात्रा न केवल भारत अपितु विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी ख़ासी दिलचस्पी और आकर्षण का केंद्र बनती है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतार ‘जगन्नाथ’ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है।

सागर तट पर बसे पुरी शहर में होने वाली ‘जगन्नाथ रथयात्रा उत्सव’ के समय आस्था का जो विराट वैभव देखने को मिलता है, वह और कहीं दुर्लभ है। भारत के चार पवित्र धामों में से एक पुरी के 800 वर्ष पुराने मुख्य मंदिर में योगेश्वर श्रीकृष्ण जगन्नाथ के रूप में विराजते हैं। साथ ही यहाँ बलभद्र एवं सुभद्रा भी हैं।

Jagannath Rath Yatra : पौराणिक कथाओं के अनुसार ‘राजा इन्द्रद्युम्न’ भगवान जगन्नाथ को ‘शबर राजा’ से यहां लेकर आये थे तथा उन्होंने ही मूल मंदिर का निर्माण कराया था जो बाद में नष्ट हो गया। इस मूल मंदिर का कब निर्माण हुआ और यह कब नष्ट हो गया इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। ‘ययाति केशरी’ ने भी एक मंदिर का निर्माण कराया था। वर्तमान 65 मीटर ऊंचे मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल ‘गंगदेव’ तथा ‘अनंग भीमदेव’ ने कराया था। परंतु जगन्नाथ संप्रदाय वैदिक काल से लेकर अब तक मौजूद है।

Jagannath Rath Yatra कब होती है?

जगन्नाथ रथ यात्रा आषाढ़ मास की शुल्क पक्ष की द्वितीय तिथि के दिन होती हैं।

2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा कब हैं?

इस साल 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा जून महीने की 27 तारीख वार शुक्रवार को होगी।

जगन्नाथ रथ यात्रा || Jagannath Rath Yatra

पुरी के महान मन्दिर में तीन मूर्तियाँ हैं –

भगवान जगन्नाथ की मूर्ति

बलभद्र की मूर्ति

उनकी बहन सुभद्रा की की मूर्ति।

Jagannath Rath Yatra : ये सभी मूर्तियाँ काष्ठ की बनी हुई हैं। पुरी की ये तीनों प्रतिमाएँ भारत के सभी देवी – देवताओं की तरह नहीं होतीं। यह मूर्तियाँ आदिवासी मुखाकृति के साथ अधिक साम्यता रखती हैं। पुरी का मुख्य मंदिर बारहवीं सदी में राजा अनंतवर्मन के शासनकाल के समय बनाया गया। उसके बाद जगन्नाथ जी के 120 मंदिर बनाए गए हैं।

जगन्नाथ मंदिर के भीतर चार खण्‍ड हैं

जगन्नाथ के विशाल मंदिर के भीतर चार खण्‍ड हैं –

1. प्रथम भोगमंदिर, जिसमें भगवान को भोग लगाया जाता है।

2. द्वितीय रंगमंदिर, जिसमें नृत्‍य-गान आदि होते हैं।

3. तृतीय सभामण्‍डप, जिसमें दर्शकगण (तीर्थ यात्री) बैठते हैं।

4. चौथा अंतराल है।

Jagannath Rath Yatra : जगन्‍नाथ के मंदिर का गुंबद 192 फुट ऊंचा और चवक्र तथा ध्‍वज से आच्‍छन्‍न है। मंदिर समुद्र तट से 7 फर्लांग दूर है। यह सतह से 20 फुट ऊंची एक छोटी सी पहाड़ी पर स्‍थित है। पहाड़ी गोलाकार है, जिसे ‘नीलगिरि’ कहकर सम्‍मानित किया जाता है। अन्‍तराल के प्रत्‍येक तरफ एक बड़ा द्वार है, उनमें पूर्व का द्वार सबसे बड़ा और भव्‍य है। प्रवेश द्वार पर एक ‘बृहत्‍काय सिंह’ है, इसीलिए इस द्वार को ‘सिंह द्वार’ भी कहा जाता है।

यह मंदिर 20 फीट ऊंची दीवार के परकोटे के भीतर है जिसमें अनेक छोटे-छोटे मंदिर है। मुख्य मंदिर के अलावा एक परंपरागत डयोढ़ी, पवित्र देवस्थान या गर्भगृह, प्रार्थना करने का हॉल और स्तंभों वाला एक नृत्य हॉल है। सदियों से पुरी को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे – नीलगिरि, नीलाद्री, नीलाचंल, पुरुषोत्तम, शंखक्षेत्र, श्रीक्षेत्र, जगन्नाथ धाम और जगन्नाथ पुरी। यहां पर बारह महत्त्वपूर्ण त्यौहार मनाये जाते हैं, लेकिन इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण त्यौहार जिसने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है, वह रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) ही है।

Jagannath Rath Yatra : रथयात्रा आरंभ होने से पूर्व पुराने राजाओं के वंशज पारंपरिक ढंग से सोने के हत्थे वाली झाडू से ठाकुर जी के प्रस्थान मार्ग को बुहारते हैं। इसके बाद मंत्रोच्चार एवं जयघोष के साथ रथयात्रा शुरू होती है। कई वाद्ययंत्रों की ध्वनि के मध्य विशाल रथों को हज़ारों लोग मोटे-मोटे रस्सों से खींचते हैं। सबसे पहले बलभद्र का रथ *तालध्वज* प्रस्थान करता है। थोड़ी देर बाद सुभद्रा की यात्रा *पद्माध्वज* रथ पर शुरू होती है।

अंत में लोग जगन्नाथ जी के रथ *गरुड़ध्वज* को बड़े ही श्रद्धापूर्वक खींचते हैं। लोग मानते हैं कि रथयात्रा में सहयोग से मोक्ष मिलता है, अत: सभी कुछ पल के लिए रथ खींचने को आतुर रहते हैं। जगन्नाथ जी की यह रथयात्रा गुंडीचा मंदिर पहुंचकर संपन्न होती है। ‘गुंडीचा मंदिर’ वहीं है, जहां विश्वकर्मा ने तीनों देव प्रतिमाओं का निर्माण किया था।

भगवान् जगन्नाथ रथ यात्रा का संक्षिप्त परिचय

1. जगन्नाथ रथ का नाम : नंदीघोष रथ

2. जगन्नाथ रथ में कुल काष्ठ खंडो की संख्या : 832

3. जगन्नाथ रथ में कुल चक्के : 16

4. जगन्नाथ रथ) की ऊंचाई : 45 फीट

5. जगन्नाथ रथ की लंबाई चौड़ाई : 34 फ़ीट 6 इंच

6. जगन्नाथ रथ के सारथि का नाम : दारुक

7. जगन्नाथ रथ के रक्षक का नाम : गरुड़

8. जगन्नाथ रथ में लगे रस्से का नाम : शंखचूड़ नागुनी

9. जगन्नाथ रथ के पताके का रंग : त्रैलोक्य मोहिनी

10. जगन्नाथ रथ के घोड़ो के नाम : वराह, गोवर्धन, कृष्णा, गोपीकृष्णा, नृसिंह,राम, नारायण, त्रिविक्रम, हनुमान, रूद्र ।।

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