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Shani Jayanti Ke Upay : शनि जयंती पर अपनाएं ये आसान उपाय, दूर होगी सारी परेशानीयां

Shani Jayanti Ke Upay
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Shani Jayanti Ke Upay : शनि जयंती पर अपनाएं ये आसान उपाय, दूर होगी सारी परेशानीयां यह तो आप सब जानते हो की हमारे हिन्दू धर्म के ग्रंथों के अनुसार शनिदेव को ग्रहों में न्यायाधीश का पद प्राप्त है। इन्हें न्याय के देवता कहा जाता हैं। जातक के अच्छे और बुरे कर्मों का फ़ल शनिदेव ही देते हैं। जिस भी व्यक्ति पर शनिदेव की टेड़ी नजर पड़ जाए, वह थोड़े ही समय में राजा से रंक बन जाता है और जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं वह मालामाल भी हो जाता है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सूर्यास्त के समय शिंगणापुर नगर में शनिदेव की उत्पत्ति हुई थी।

शनि जयंती के उपाय Shani Jayanti Ke Upay

— शनि जयंती के दिन सूर्यास्त के बाद श्री हनुमान जी का पूजन करें। पूजन में सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल का प्रयोग करें। ये शनि जयंती के उपाय आप हर शनिवार भी कर सकते हैं।

— शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आएं। शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। बताये गए शनि जयंती के उपाय को करने से शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा।

— शनि जयंती के दिन शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं । प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं । नीला या काला पुष्प चढ़ाएं इस शनि जयंती के उपाय को करने से लाभ होगा।

— शनि जयंती के दिन बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।

— शनि जयंती के एक दिन पहले की रात काले चने पानी में भिगो दें । शनि जयंती के दिन ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। बताये जा रहे इस शनि जयंती के उपाय को पूरा एक साल करें। इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें।

— शनि जयंती के दिन अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बटकर माला की भांति गले में पहनें। इस शनि जयंती के उपाय से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है।

— शनि जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें और किसी शनि मंदिर में जाकर शनिदेव से प्रार्थना करें।

— शनि जयंती के दिन एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें। ये शनि जयंती के उपाय अन्य किसी शनिवार को भी कर सकते हैं।

— शनि जयंती के दिन व प्रत्येक शनिवार को शाम के समय बड़ (बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद सरसो के तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।

— लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित करें इस शनि जयंती के उपाय करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।

— शनि जयंती के दिन भैरव जी की उपासना करें और शाम के समय काले तिल के तेल का दीपक लगाये इस शनि जयंती के उपाय को करने से शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।

— शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। इस शनि जयंती के उपाय को आप प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।

  • वैदिक मंत्र : ऊं शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
  • लघु मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं श्रीशनैश्चराय नम:।

— शनि जयंती के दिन सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। इस शनि जयंती के उपाय को करने से शनिदेव के प्रकोप में अवश्य कमी होगी।

— शनि जयंती के दिन इन 10 नामों से शनिदेव का पूजन करना चाहिए।

  • कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
  • सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। 
  • अर्थात : 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन शनि जयंती के उपाय अनुसार दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

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